देव नगरी उज्जैन के बारे रोचक जानकारी, देश दुनिया में प्रसिद्ध है ये प्रमुख मठ मंदिर

उज्जैन / लोकेशन 
महाकाल मंदरी 
पंकज शर्मा पत्रकार

उज्जैन नगरी देवो की तपो भूमि हैं , इस भूमि की अलक ही विशेषता है, इस देव भूमि को इंद्र आकाश में ले गया था, उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने तपो बल के प्रभाव से पुनः प्रथ्वी पर स्थापित किया और इंद्र को वचन दिया की जब सभी मानव सो जाए तब आप इस तपो भूमि को ले जाना तब से आज तक यह पर रात में कोई सोता नही है, अधिकतर लोग रात्रीन में जग कर भगवान महाकाल की आरती का लाभ लेते है ।  भगवान महाकाल देवो के देव है और दानवों के भी आराध्य देव हैं, बहुत कम लोग जानते हे की राजा विक्रमादित्य महराज कुशल शासक के साथ साथ गजब के तांत्रिक भी थे और सभी कार्य में कुशल थे । राजा विक्रमादित्य ने अपने जीवन काल में अनेकों अनेक परिस्थियो का सामना किया, विक्रम बेताल की कहानी के सभी पहलू यही से घटित हुवे है ।


विश्वनाथ भगवान श्री महाकाल की हर रोज पाच विशेष आरती होती है जिसमे सुबह चार बजे भस्मारती, सुबह आठ बजे बाल भोग आरती, सुबह 10 बजे भोग आरती , शाम को 7 बजे संध्या आरती और रात्रि में सयन आरती होती हैं । इसने भस्मारती आरती और सयन  आरती का विशेष महत्व ही है ।

भगवान महाकाल के दिव्य दरबार में कई मान्यता सार्थक हे और प्रचलित हैं अगले अंक में अपने पाठको को विस्तार के साथ सभी पहलुओं से अवगत करवाया जायेगा । अभी उज्जैन नगरी के प्रमुख दिव्य दर्शन के बारे में बता रहे है ।

उज्जैन के सबसे लोक प्राय प्रसिद्ध मंदिर, 5वां वाला तांत्रिक सिद्धि के लिए है विख्यात हैं और गजब की साधना साधक करते रहते है...

उज्जैन घूमने का प्लान बना रहे हैं तो यहां कई ऐसी खास जगह हैं, जिनका आप दीदार कर सकते हैं. यहां हर समय पर्यटकों की बड़ी संख्या में भीड़ होती है...

कई मंदिर तो ऐसे हैं जो देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं, यहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और अपनी मनोकामना पूरी होने पर आस्था विश्वास के साथ नमन करने आ जाते हैं ।

 

उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर, जो महाकाल के नाम भी जाना जाता है,  काल शब्द के दो अर्थ हैं - समय और मृत्यु. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान, शिव मृत्यु और काल के देवता हैं, इसी कारण उन्हें महाकालेश्वर कहा जाता है, धार्मिक लिहाज से ये मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र है, यहा प्रतिदिन लाखों की संख्या मे देश दुनिया से श्रद्धालु आते हैं, इस मंदिर की अपनी अलक मनियता हैं ।


उज्जैन के भेरूगढ़ क्षेत्र में स्थित काल भैरव का मंदिर, जहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. इन्हें शिव का रौद्र रूप भी कहा जाता है, यह प्रतिमा अत्यंत चमत्कारी है, मान्यता है कि यहां पर स्वयं काल भैरव मदिरा ग्रहण करते हैं, प्रसाद के रूप मे भक्त यहां मदिरा का भोग लगाते हैं ।

भगवान श्री चिंतामण गणेश की स्थापना भगवान राम ने की थी, महाकालेश्वर नगरी मे जो भी शुभ कार्य होता है, सर्वप्रथम निमंत्रण चिंतामन गणेश को ही जाता है ।

इंदौर रोड पर त्रिवेणी के पास एक शनि मंदिर स्थापित है, जहां श्रद्धालु नौ ग्रह के दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर में मांगी हुई हर मन्नत पूरी होती है. इसलिए यहां पर श्रद्धालु प्रतिदिन हज़ारो की संख्या में आते हैं ।

यह मंदिर गढ़कालिका नाम से प्रसिद्ध है. यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त हाजिरी लगाने आते हैं, यह मंदिर तंत्र साधकों के लिए विशेष बताया गया. दूर-दूर से तंत्र क्रिया यानी सिद्धि हासिल करने वाले तांत्रिक यहां आते रहते हैं, नवरात्रि में मंदिर का विशेष महत्व रहता है, यहा देवी को नरमुंड की माला चढ़ती है ।

महाकाल से कुछ ही दूरी पर गोपाल मंदिर है, जो काफी प्रसिद्ध है, ये मंदिर मराठा वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है, इसका निर्माण 19 वीं शताब्दी में महाराज दौलत राव शिंदे की रानी बायजीबाई शिंदे ने कराया था, एक विशाल संगमरमर की संरचना के ऊपर निर्मित यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है ।

भगवान प्रभु श्री राम ने रामघाट की स्थापना की थी, धार्मिक मान्यताओं की मानें तो इस जगह पर भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान भी किया था, यहां स्थित शिप्रा नदी में स्नान करने का अत्यधिक महत्व माना जाता है ।

हरसिद्धि माता के नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है. यहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं ।कई मान्यताओं के साथ देश दुनिया में विशेष तांत्रिक अनुष्ठान में अलक ही मान्यता प्राप्त है ।
गजब को साधना नव रात्रि में चलती रहती है ।

 

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पंकज शर्मा पत्रकार

 

 

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