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*रिटायर्ड जेल डीजी संजय चौधरी व उसके परिवार के आठ बैंक खाते मिले रजिस्ट्रार कार्यालय से भी जानकारी जुटाई जा रही है*

 

पंकज शर्मा
पत्रकार & चीफ इन एडिटर
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*भ्रष्टाचार से कमाई का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है बैंकों से खातों  में जमा राशि की जानकारी लोकायुक्त द्वारा मांगी गई।*


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*कई समय से की गई शिकायत इसका भी विवरण आपकी जानकारी के लिए समाचार में बताया जा रहा*

 

लोकायुक्त पुलिस द्वारा रिटायर्ड जेल डीजी संजय चौधरी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने के मामले में नई जानकारी सामने आई है।
Ex Dgp संजय चौधरी उनके दो बेटे पत्नी और सास के कुल 8 बैंक खातों की जानकारी पता चली,
 इन बैंक खातों में लोकायुक्त पुलिस ने पत्र लिखकर खातों में जमा राशि की विस्तृत जानकारी मांगी है।
 वही रजिस्ट्रार कार्यालय को भी पत्र लिखा  कि पूर्व डीजीपी संजय चौधरी और उनके सभी परिजन द्वारा कितनी रजिस्ट्री कराई गई है।

कितनों के पक्ष में रजिस्ट्री की,
इस प्रकार की जानकारी लोकायुक्त द्वारा मांगी गई,
 अचल संपत्ति का आंकड़ा आगे की जांच में और भी बढ़ सकता है।
 पूर्व डीजीपी संजय चौधरी की पोस्टिंग कभी इंदौर जिले में नहीं रही लेकिन उन्होंने रिटायर होने के बाद लग्जरी आशियाना इंदौर में बनाया संपत्तियों के रूप में निवेश भी इंदौर में ही किया,
 मध्य प्रदेश के बाहर महाराष्ट्र में भी कुछ संपत्ति खरीदी लोकायुक्त पुलिस में दस्तावेजों के साथ आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने की शिकायत की गई थी जिन जिन संपत्तियों के दस्तावेज मिले वाह सही पाए गए इस पर उनकी सास प्रेमलता पंचोली के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया गया है,
*पूर्व में भ्रष्टाचार की शिकायत*


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मंदसौर के कांग्रेस नेता राघवेंद्र सिंह तोमर ने आरोप लगाया था कि  डीजी जेल-संजय चौधरी ने खेल विभाग के डायरेक्टर रहते हुए करोड़ों का भ्रष्टाचार किया। तोमर का आरोप  कि चौधरी ने पलंग, फर्नीचर, कम्प्यूटर, घोड़े खरीदी के साथ दूसरे कामकाज में हेराफेरी कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। तोमर ने चौधरी के खिलाफ लोकायुक्त, EOW और DGP से शिकायत की थी । लाखों रुपए कीमत के घोड़ों के बजाए खच्चर खरीद लिए। 
फर्ज़ी बिल लगाकर अलग-अलग मामलों में करोड़ों का भुगतान कर लिया। 30 हजार की अलमारी के लिए 1 लाख का बिल लगा दिया और खेल आयोजनों के नाम पर जाली बिल लगा कर पेमेंट कराया गया।

*विधानसभा में उठा था मामला*

इससे पहले 19 जुलाई को कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने विधानसभा में यही मामला उठाया था। उस विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने संज्ञान में लिया था।
 मसले पर चर्चा के बाद  पूर्व खेल मंत्री जीतू पटवारी ने इसकी जांच रिपोर्ट एक सप्ताह में सदन के पटल पर रखने की बात कही थी 
और तत्काल 3 सदस्यों की जांच कमेटी बना दी थी। इसमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को भी शामिल किया गया था।  बताया जा रहा है कि कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर तमाम एजेंसी आगे की कार्रवाई तय करेंगी।

शिकायतों में इस तरह के घोटालों का जिक्र
-40 घोड़े 35 से 50 लाख रुपये प्रति घोड़े के हिसाब से खरीदने के बजाए 15 से 20 हजार कीमत के खच्चर खरीदे गए।
-भोपाल की दो कंपनियों से 20 से 30 गुना अधिक दाम पर खेल सामग्री खरीदी गई।
-खेल मैदानों के लिए फ्लड लाइट खरीदे गुमनाम कंपनियों के नाम भुगतान कर दिया।
-कम्प्यूटर खरीदी में 40 लाख से अधिक की आर्थिक अनियमितता का आरोप।
-37 वीं राष्ट्रीय जूनियर हॉकी प्रतियोगिता के आयोजन में लाखों के फर्जी बिल का भुगतान।
-एक कंपनी से 30 लाख के पलंग एक करोड़ रुपये में खरीदकर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई।
-8 हजार कीमत की लकड़ी की एक अलमारी को 51503 रुपए की दर से खरीदी।
-नेहरू हॉकी अकादमी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों का नियम विरूद्ध 3 करोड़ भुगतान।
-हॉकी की ट्रेनिंग में नाम पर किराए के वाहनों के फर्जी बिल लगाकर करोड़ों का घोटाला।
-फर्जी बिल के जरिए खेल सामग्री खरीदी के नाम पर 7 करोड़ का भुगतान।
-नियम विरूद्ध आरती राय, बिट्टू शर्मा, रवि कोहिली की नियुक्ति का आरोप लगा है।

 

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