उज्जैन / लोकेशन प्रेस क्लब उज्जैन

*मालवामालवा पत्रकारिता उत्सव मे शब्दो की अस्मिता पर बोले वरिष्ठ पत्रकार*

 

*पत्रकारिता के लिए अब संक्रमण काल सभी अपनी जिम्मेदारी भूल चुके हैं..*

उज्जैन। पत्रकारिता के लिए अब संक्रमण काल चल रहा है सभी अपनी जिम्मेदारी भूल चुके हैं लोकतंत्र की पालकी के कहारों की आंखो का पानी मर चुका है हमें चौथा स्तंभ माना गया है लेकिन इस पालकी के तीन स्तंभ सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। वर्तमान में पत्रकार भी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरीके से नहीं निभा रहे हैं और सत्ता के चरण और भाट के रूप में पत्रकारिता कर रहे हैं, जबकि उन्हें सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करना चाहिए पर उनके सवाल सत्ता से नहीं बल्कि उनके विरोध में खड़े लोगों से हैं वर्तमान में कोई सत्ता से सवाल पूछता है तो ऐसा माना जाता है जैसे कोई ईश निंदा कर रहा हो।  
यह बात प्रेस क्लब द्वारा आयोजित मालवा पत्रकारिता उत्सव मे वर्तमान समय मे बदलती पत्रकारिता विषय पर दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा, ग्वालियर से आए वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक, भोपाल से पधारे वरिष्ठ पत्रकार ह्रदयेश दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेडे, वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी, वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी, स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने मालवा पत्रकारिता उत्सव पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कही।
मालवा पत्रकारिता उत्सव की संपूर्ण जानकारी देते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष विशालसिंह हाड़ा ने बताया कि प्रो. रामसखा गौतम सभागार, सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान भरतपुरी प्रशासनिक क्षेत्र उज्जैन पर मालवा पत्रकारिता उत्सव 2023 का आयोजन दो सत्रो मे किया गया। जिसमे मुख्य अतिथि के रूप मे मोहन यादव मंत्री, म. प्र. शासन, अनिल फिरोजिया सांसद उज्जैन, पारस जैन पूर्व मंत्री एवं विधायक, महेश परमार विधायक तराना, श्याम बंसल अध्यक्ष प्राधिकरण के साथ ही नईदिल्ली के दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा, प्रदेश टुडे मीडिया के चेयरमैन ह्रदयेश दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक, स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, प्रेस क्लब के संस्थापक सुनील जैन ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ इस कार्यक्रम की शुरूआत की। कार्यक्रम में ज्योतिषशास्त्र अध्ययनशाला के आचार्य राजराजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर के द्वारा मंगलाचरण किया गया। जिसके पश्चात वरिष्ठ पत्रकारो के द्वारा वर्तमान समय मे बदलती परिस्थितियो के बीच पत्रकारिता, वर्तमान मे पत्रकारिता क्षेत्र में किए जाने वाले सुधार और इस पत्रकारो को वर्तमान समय में आ रही विपत्तियो पर विचार व्यक्त किए गए। कार्यक्रम के दौरान प्रेस क्लब के कार्यकारिणी सदस्य हर्ष जायसवाल ने संस्था का परिचय देने के साथ ही आगामी वर्षों में मालवा पत्रकारिता उत्सव को और भी धूमधाम से मनाने की बात कही। कार्यक्रम के दौरान प्रेस क्लब के पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्यों के साथ ही बड़ी संख्या में पत्रकारगण शामिल हुए जिन्होंने शब्दो की अस्मिता के इस विशेष अनुष्ठान मालवा पत्रकारिता उत्सव में वरिष्ठो की बातो को सुना और उनके बताए मार्ग पर चलकर पत्रकारिता करने की बात कही।  कार्यक्रम का संचालन शैलेंद्र व्यास स्वामी मुस्कुराके ने किया। 

 

*मीडिया अवार्ड 2023 से हुआ इनका सम्मान*
 
मालवा पत्रकारिता उत्सव के दौरान उपस्थित अतिथियो व वरिष्ठ पत्रकारों के द्वारा सुश्री नीता सिसोदिया वरिष्ठ पत्रकार इंदौर, सुनील शर्मा वरिष्ठ पत्रकार धार, नईम कुरेशी वरिष्ठ पत्रकार शाजापुर, अनिलसिंह सिकरवार वरिष्ठ पत्रकार देवास, शौकीन जैन वरिष्ठ पत्रकार नीमच, राजेश जैन वरिष्ठ पत्रकार रतलाम, मनीष पुरोहित वरिष्ठ पत्रकार मंदसौर मनीष मारू वरिष्ठ पत्रकार आगर मालवा को  मीडिया अवार्ड 2023 से सम्मानित किया गया। 

*एमजीएमसी के विद्यार्थियों ने पूछे वरिष्ठ पत्रकारो से सवाल*

मालवा पत्रकारिता उत्सव के दौरान एमजीएमसी के बच्चों ने वरिष्ठ पत्रकारों से कुछ सवाल पूछे जिसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार ह्रदयेश दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेडे वरिष्ठ पत्रकार सुमित अवस्थी ने जवाब देते हुए कहा कि हर सूचना खबर नहीं होती और हर व्यक्ति पत्रकार नहीं होता। वर्तमान मे पत्रकार तो खबर को अपनी कसौटी पर कसने के बाद ही इसे वायरल करता है लेकिन सोशल मीडिया की यूनिवर्सिटी पर जो खबरें चल रही है। उसमें क्या सत्यता है यह बताने वाला कोई नहीं है। विद्यार्थियों द्वारा जब पूछा गया कि वरिष्ठ पत्रकार अपने संस्थानों के बजाय अब यूट्यूब पर अपनी अभिव्यक्ति क्यों व्यक्त कर रहे हैं इसके जवाब में वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा कि पत्रकारिता में अब मैनेजमेंट का बंधन साफतौर पर नजर आता है अब स्वतंत्र पत्रकारिता नहीं होती अब सरकार खुद तय करती है कि पेज नंबर 1 पर क्या खबर लगेगी और 8 पर क्या। पत्रकारों की सुरक्षा के जवाब में आपने कहा कि सरकारों को मुस्तैदी से पत्रकारों की सुरक्षा करना चाहिए लेकिन अब तो सरकार ही पत्रकारों के पीछे पड़ी हुई है अलग से पत्रकारों के लिए कोई प्रोटेक्शन एक्ट नहीं है पहले की सरकार पत्रकारों के बारे में सोचती थी और काम करती थी लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं है। 

*मालवा पत्रकारिता उत्सव मे यह बोले वरिष्ठ पत्रकार*

*- वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने कहा* कि मुझे पत्रकारिता में लगभग 40 साल हो गए हैं मैंने पत्रकारिता के कई बदलते हुए दौर देखे हैं। वर्तमान में पत्रकारिता के ध्रुवीकरण का दौर चल रहा है और यह जैसे जैसे पैना होगा। वैसे ही पत्रकारिता के लिए और भी मुसीबत बढ़ती जाएगी। आज का समय सूचनाओं के सशक्तिकरण का दौर है। वर्ष 1439 में जब मुद्रित पत्रकारिता होती थी उस समय भी फेक न्यूज चल रही थी आज कुछ ऐसा नया नहीं है। वर्तमान में पत्रकार कोई काम करता है तो उस पर तोमत लगा दी जाती है जबकि आज के समय में अन्य वर्ग द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर आवाज उठाने वाला सिर्फ पत्रकार ही है। सरकार हमेशा से ही पत्रकारिता में हस्तक्षेप करती आई है पूर्व में भी इन लोगों की पसंद के हिसाब से ही पत्रकारों को मीडिया के बड़े संस्थानों में लाया जाता था। वर्तमान में स्थिति तो यह है कि अब हेडलाइन मैनेजमेंट भी होने लगा है जो कि एक बड़ी चिंता का विषय है और आने वाले समय में एआई का जो रोल मीडिया में शुरू हो रहा है उससे पत्रकार कैसे निपट पाएगा यह एक बड़ी चुनौती है। 

*- ह्रदयेश दीक्षित, वरिष्ठ पत्रकार भोपाल ने* मालवा पत्रकारिता उत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने 450 रुपये से पत्रकारिता की शुरूआत की थी श्रमजीवी पत्रकार बनकर मैंने बरसो तक ईमानदारी से कार्य किया लेकिन मुझे यह बताते हुए कोई शर्म नहीं है कि वर्तमान में अब जब मैं एक मीडिया समूह का मालिक हूं उस समय मुझ पर सरकार की कई पाबंदियां हैं। वर्ष 2014 से 2023 तक पत्रकारिता का दौर काफी बदला है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी जिम्मेदारी भूल चुका है अब देश के बड़े मुद्दों पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री विदेश में जाकर क्या खाना खाएंगे उस पर चर्चा करता है। हम स्वयंभू लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं जिन्हें कोई कुछ मानने को तैयार ही नहीं है प्रिंट मीडिया के लिए आज का समय काफी खतरनाक चल रहा है आप प्रश्न पूछते रहे लोगों से बात करना कभी नहीं छोड़े। मैं पत्रकारिता को जीवित रखने के साथ ही पत्रकारों के सम्मान के लिए सदैव तत्पर हूं। 

*- डॉ. राकेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार ग्वालियर ने* बताया कि आज के समय में डिजिटल मीडिया बेलगाम है सूचनाओं का सोशल मीडिया पर महा विस्फोट हो रहा है हर सूचना देने वाला व्यक्ति पत्रकार नहीं है व्हाट्सएप, ट्विटर सोशल मीडिया पर हर कोई बिना जिम्मेदारी के न्यूज भेज रहा है लेकिन सच्ची खबरें देने वालों की जिम्मेदारी सच को सामने लाने की है सूचना को अपनी कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही यदि पत्रकार चलाएंगे तो इससे फेक न्यूज का मायाजाल समाप्त हो जाएगा। पत्रकारिता के लिए आपका समय संक्रमण काल की तरह हो गया है सभी अपनी जिम्मेदारियां भूल चुके हैं लोकतंत्र की पालकी के चारो कहारों की आंखो का पानी मर चुका है।

 

*अशोक वानखेडे वरिष्ठ पत्रकार -* 
मंच देखकर अगर मैंने रंग बदला तो मुझ में और लोगों में फर्क क्या रह जाएगा यह बात कह कर दिल्ली से पधारे वरिष्ठ पत्रकार अशोक वानखेडे ने बदलती परिस्थितियों में पत्रकारिता विषय पर अपने विचार रखे उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में हमेशा ही समस्याओं का दौर रहा है पहले प्रिंट मीडिया में समस्याएं थी फिर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के आने से समस्याएं बढ़ी और अब डिजिटल के बाद ट्विटर स्पेस आ गया है लेकिन सभी ने इन संकटों को जिया है और इनका सामना किया है सरकार के सामने नतमस्तक होना एक पत्रकार का धर्म नहीं है पत्रकारिता का काम ईमानदारी का है आज के समय में लोकतंत्र के चारों स्तंभों में  पत्रकारों का दायित्व बड़ा है हमें सवाल पूछना चाहिए और पत्रकारिता को एक मिशन की तरह करना चाहिए। आज के समय में फेक न्यूज के लिए एक कैंपेन चलाया जा रहा है आपने कहा कि वर्तमान में राजनीति करने वाले लोग संवेदनहीन नहीं है आज के समय में सिर्फ चुनाव के दौरान ही संवेदना व्यक्त की जाती है मणिपुर की घटना पर आपने कहा कि प्रधानमंत्री यहां जलाए गए मकानों और सैकड़ों लोगों की मौत पर तो मौन रहते हैं लेकिन महाराष्ट्र जहां पर चुनाव होने वाले हैं वहां की सड़क दुर्घटना पर भी न सिर्फ ट्वीट करते हैं बल्कि सड़क दुर्घटना में मारे जाने वाले लोगों के लिए राहत राशि भी देते हैं क्योंकि यहां चुनाव होने वाला है। आपने कहा कि कर्नाटक के लोगों ने चुनाव के दौरान सरकार से कई सवाल पूछे लेकिन सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी को यहां से अपनी सरकार गंवाना पड़ी क्योंकि सब आप रहें। सत्ता जब सत्ताधीश जवाब देना नहीं चाहता तो समझिए उससे ज्यादा डरपोक कोई नहीं है हमारी पत्रकारिता नारद की नहीं महाभारत के संजय की तरह होना चाहिए क्योंकि महाभारत में संजय जो देखता था वही बताता था। 

*- प्रवीण धारीवाल स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष*
पत्रकारिता के हर दौर में चुनौतियां रही है लेकिन वर्तमान में पत्रकारिता के हालात सबसे डराने वाले हैं। हमें आत्मनिर्भर होकर पत्रकारिता करना चाहिए क्योंकि अब सच कहना राष्ट्र व देशद्रोह की तरह हो गया है। वर्तमान में सरकार और सत्ता स्थानों की नियत बिगड़ रही है वे चाहते हैं कि विज्ञापन देने के बाद मीडिया अब किसी के बारे में भी कुछ नहीं छापे। आज के समय में सच दिखाने वाले को खिलाफ मान लिया जाता है मैं बड़े शहरों की बात तो नहीं कहता लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी पत्रकारिता का अच्छा स्वरूप नजर आ रहा है। 


*- दीपक तिवारी वरिष्ठ पत्रकार*
सुबह को शाम शाम को सवेरा नहीं लिखा हमने खबर लिखी है कोई कसीदा नहीं लिखा। इस बात से पत्रकारिता के विषय में जानकारी देते हुए भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी ने मालवा पत्रकारिता पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अच्छी पत्रकारिता के लिए शब्दों का जादूगर होने की आवश्यकता नहीं है। पत्रकारों को पत्रकारिता व खबरों की समझ होना चाहिए जब पत्रकार को पॉजिटिव पत्रकार कहा जाता है तो फिर हम जनसंपर्क अधिकारी या फिर गोदी मीडिया बन जाते हैं। आपने बताया कि जो आपसे छुपाया जाता है केवल खबर वही है खबरें वही होती है जहां से सवाल बनता है देश में टीवी चैनलों की हालत इतनी खराब है कि 3 वर्षों में लगभग 40% लोगों ने  टेलीविजन पर न्यूज देखना ही बंद कर दिया है आज के समय में लोग सिर्फ डिजिटल पर खबरें देखना पसंद कर रहे हैं लेकिन आज के समय में स्वतंत्र पत्रकारिता खत्म  हो चुकी है और जल्द ही इससे लोकतंत्र भी खत्म होने वाला है सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक ने तो लोकतंत्र को लगभग समाप्त ही कर दिया है आज भी समाज में एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो कि आपकी अच्छाइयों को देखकर सदैव आपको आगे बढ़ाता है आपने सेटेलाइट से पत्रकारिता के बारे में भी पत्रकारों को जानकारी दी आपने पत्रकारिता के लिए टेक्नोलॉजी को भी सबसे बड़ा खतरा बताया। 


*सुमित अवस्थी वरिष्ठ पत्रकार*
न्यूज चैनल और पेपर जब तक सरकारी चंदे पर चलेंगे तब तक हमें निष्पक्षता के साथ समाचार नहीं मिल पाएंगे आज के समय में गलत और फेक न्यूज से निपटना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। हमें किसी भी बात को सच मानने की बजाय अपने विवेक से सोचना होगा कि आखिर हमें जो दिखाया या परोसा जा रहा है उसमें कितनी सच्चाई है हमें हर चीज पर सवाल करना चाहिए। आज के समय में पत्रकारों को किसी एक पक्ष की ओर धकेला जा रहा है यदि हम सत्ता से सवाल करते हैं तो हमें विरोधी माना जाता है। आज के समय में पत्रकार को ही पत्रकार का दुश्मन बना दिया है पत्रकारों में एकता की कमी है जिसका फायदा सत्ता और प्रशासन के लोग उठाते हैं यही कारण है कि  अच्छी खबर और स्टोरी लगते ही न सिर्फ हमें बिकाऊ बोला जाता है बल्कि हमारे सोर्स भी बताया जाते हैं आज के समय में टीवी की बजाय सोशल मीडिया पर काफी स्वतंत्रता है इसीलिए अब लोग टीवी चैनलों पर नहीं बल्कि यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं।

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