हमारी नजर में प्यार और सेक्स में बहुत अंतर होता है आज हम इस विषय पर अपने पाठको से विस्तार में चर्चा करेगे ।

अपने जीवन साथी के साथ बिताए हुवे अनमोल पल को आप किस नजर से देखते हैं प्यार या सेक्स। 

पंकज शर्मा पत्रकार 
News bulletin 

प्यार में सेक्स करना जरूरी है??? ये एक ऐसा विषय है, जिस पर सभी लोगों की अलग अलग राय है। कुछ लोग सही मानते हैं तो कुछ लोग गलत।

आज इस विषय पर बात करूंगा, मगर उससे पहले सेक्स के अलग अलग भाव पर बात करूंगा।
सेक्स, हवस और वासना तीनों एक जैसे होने के बावजूद भी तीनों एक दूसरे से अलग हैं।
__वासना और हवस:- ये सेक्स का वो मानसिक विकृति है जो ना तो नर-नारी, पशु-पक्षी, छोटे-बड़े आदि में भेद नहीं करता। जब ये विकृति मन में सवार होती है तो वासना से ग्रसित इंसान किसी के साथ कुकृत्य कर देता है।
सामने वाले के इच्छा के विरूद्ध उसके साथ जोड़ जबरदस्ती कर सामने वाले का शारीरिक और मानसिक रूप से क्षति पहुंचाता है।
सीधे शब्दों में कहूं तो जिसके अंदर हवस और वासना पाई जाती है, वो जानवर होते हैं और उन्हें प्रेम से कोई लेना देना नहीं होता है।

वहीं सेक्स कि बात करूं तो ये दो लोगों की रजामंदी से किया जाने वाला वो सुख है, जिसे न पाने वाला अतृप्त रहता है। ये वो चीज है जिसके बिना संसार का कल्पना करना ही बेकार है।

अब सवाल है कि प्रेम में सेक्स जायज है या नहीं?
अगर प्रेम हवस और वासना का केंद्र बिंदु है तो वो प्रेम ही नहीं है, क्योंकि सामने वाला इंसान प्रेम नहीं बल्कि अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहता है और जैसे उसकी इच्छाएं पूर्ण हुई वो आपका अहित कर सकता है। लड़के लड़कियों का सेक्स वीडियो वायरल होना इसमें से ही एक है।

जहां तक सेक्स कि बात करूं तो प्रेम में सेक्स उतना ही आवश्यक है, जितना आपके नंगे शरीर पर एक कपड़े का होना।
वो कपड़ा आपके शरीर को परिपूर्णता देता है। 
प्यार के शुरुआत का पहला बिंदु आकर्षण होता है, जो इंसान की व्यक्त्तिव, उसके अच्छे आचरण आदी से शुरू होती है और जैसे जैसे समय बीतता जाता है प्यार की गहराई उतनी ही बढ़ती जाती है। साइंस कहता है कि जब तक हम फिजिकली रिलेशन में नहीं रहते तब तक हम अपने प्रेमी या प्रेमिका के प्रति लापरवाह होते हैं,  क्योंकि हम सिर्फ उससे मेंटली रूप से जुड़े होते हैं... मगर हम जैसे फिजिकली रूप से जुड़ते हैं हम अपने प्रेमी/प्रेमिका की छोटी छोटी चीजों के बारे में सोचने लग जाते हैं। उसके प्रति वफादारी की प्रतिशत बढ़ जाती है।
सेक्स में प्यार की भागीदारी हो या नहीं हो, मगर प्यार की मजबूती में सेक्स अहम भूमिका निभाता है।
जिस तरह से एंगेजमेंट कि अंगूठी सीधा दिल तक टच करती है, सेक्स भी उसी प्रकार प्यार के भावनाओं को टच करता है।

धार्मिक दृष्टि से देखें तो बिना काम के प्रेम का कोई महत्व ही नहीं है। अगर बिना काम के प्रेम होता तो कामदेव नहीं होते।
देवताओं में कामदेव का अपना अलग महत्व है और बिना कामदेव के प्रेम को अनुभव कर पाना नामुमकिन है।
प्रेम और काम का सामंजस्य और महत्ता खजुराहो की मंदिर बतलाती है, इसलिए प्रेम में सेक्स गलत नहीं है अगर इसका दुरुपयोग ना किया गया हो।

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