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 जीआरपी में एफ आई आर दर्ज कराना भी हुआ मुश्किल...

 

पंकज शर्मा
पत्रकार  &  चीफ इन एडिटर
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उज्जैन  :  राकेश तिवारी रिपोटर

 

 रेलवे यात्रा के दौरान या रेलवे स्टेशन परिसर पर यदि आपकी जेब कटी हो जाए मोबाइल कोई चुरा ले या सामान चोरी हो जाए तो आपको f.i.r. कराना बहुत मुश्किल हो सकता है l

 


यहां पदस्थ एएसआई कुशवाह के अनुसार अधिकारियों के मौखिक निर्देश है कि कोई गुमशुदगी की सूचना दर्ज नहीं की जाए वरन एफ आई आर मूल दस्तावेज बताने पर दर्ज की जाएगीl 

 

जब चोरी गए या रेलवे स्टेशन परिसर में घूमे हुए सामान का बिल है , यात्रा का टिकट है l,

 


 इसके अलावा सीसीटीवी फुटेज देखकर संदिग्धों को खोज कर लाने की जवाबदारी भी संबंधित पीड़ित व्यक्ति की होती है l

 


इस प्रक्रिया में दो से 3 मर्तबा चक्कर लगाने और चार से 5 घंटे बिगाड़ने के बाद जब कोई संदिग्ध को पीड़ित पक्ष के लोग पकड़कर लाते भी हैं तो उनसे फौरी तौर पर पूछताछ करके संदिग्धों को छोड़ दिया जाता है l

 

जबकि रेलवे स्टेशन परिसर में और आसपास और रेलों में सासी  कड़ियां और पारदी गैंग सक्रिय है जो सामान चुराकर तुरंत तुरंत गायब होती है पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हैl 


जब कोई आरपीएफ थाना जाता है तो उसे जीआरपी भेजा जाता है और वहां से आरपीएफ थाने लौटा दिया जाता है कि पहले सीसीटीवी फुटेज देखो फिर फुटेज देखकर कोई संदिग्ध को पकड़ कर लाता भी है तो उसे यह कर कर छोड़ देते हैं कि इसके पास से कोई सामान बरामद नहीं हुआ 

 

 

सबके समझ में है कि पुलिस संदिग्धों को किस प्रकार से छोड़ती हैl यानी कुल मिलाकर यह है कि रेलवे स्टेशन परिसर में या रेल यात्रा के दौरान कोई सामान चोरी हो जाए यह सामान कहीं गुम हो जाए तो उसकी f.i.r. लिखना मुश्किल बात है 

 

लोगों को न्याय कैसे मिलेगा चोरों के हौसले यहां किस तरह बुलंद है यह समझा जा सकता हैl

 


मीडिया प्रवक्ता टीम से
पंकज शर्मा
पत्रकार
9300886399

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