दारू दारू दे दारू, खत्म होते जा रहे भारतीय परिवार : news bulletin
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दारू के चक्कर में बरबात होते घर आंगन
पंकज शर्मा
पत्रकार & चीफ इन एडिटर
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दे दारू , दे दारू, फिर से दे दारू आज हम हमारी कलम के माध्यम से अपने प्रिय जकरुख पाठको को दारू के बारे में कुछ एक पहलू से अवगत करवाना चाहते है। हम भारतीय है और दिल से जीते है, अपने कल्चर में हम खाने पीने के शौकीन होते हैं, भारत देश अनेक जाति पंत का राष्ट्रीय जीता जागता लोग पुरुष हैं, इस में कई जाति वर्ण के लोग मान सम्मान के साथ परिवार सहित निवास करते हैं, इन्ही में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो दारू की गलत आतत की वजह से अपने परिवार को मुसीबत में डाल ने का कार्य कुशलता पूर्वक कर रहे हैं।
दोस्ती शेरो से करो के तो शेर कहालवाओगै और बेवरो के साथ बैठो गै तो बेवरे...
दारू के चक्कर में आकर वियक्ती मान सम्मान खो कर भी परिवार को नोकरी करने में लगा देगा, अपनी घर की इज्जत नोकरी करे और साहब घर में बिस्तर पर आराम फरमाए...
पत्नी की तंखा में आज के टाइम में घर चलना तो दूर एक टाइम की सब्जी भी नही आती हैं, सुबह से शाम तक घर की इज्जत काम कर , परिवार के बच्चो का लालन पालन करे और पति अपने बेवरो दोस्तो के साथ मजे ले, घर में खाने का दाने नही और बाजार में रईसी बताते फिरे, घर का हाल बुरा है और साहब नवाब बने फिरे बाजार में...
हम जिसके लिए लेख लिखते हैं वहा पड़कर समझ जाता है, की आज कलम की दिशा में हम टारगेट है, हम हमारी खबर में नाम और किरतार का जीकर नहीं करते पर जिस महा पुरुष के लिए अपना समय खराब करते हैं उसे बखूबी पता चल ही जाता है ।
हमे फर्क नही पड़ता की हमारे बारे में कोई क्या सोचेगा पर हम ऐसे ही है तत्काल जवाब देते फिरते है और जिसके पीछे पड़ जाए तो नहा धोकर , अगरबत्ती लगा कर पड़ ही जाते हैं, फिर कोई गलत समझे तो हमारे उनसे
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पंकज शर्मा
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