एक समय ऐसा भी रहता है

 

उज्जैन / लोकेशन

पंकज शर्मा पत्रकार

 

एक समय साहब का जलवा था इनके नाम से कई काम तत्काल हो जाते हैं, सिर्फ नाम लेने की तेर थी आखिर जलवा था साहब का ।

 

 

साहब अपने रूतबे में इतने मसूर थे की डाकू को चोर पकड़ने की जवाबदारी दे डाली, चोरों ने अपनी टीम बनाकर गजब का जादू दिखाई दिया ।

 

सब दूध के धुले हैं, दूध के धुले ही सिद्ध होते हैं और सिद्ध पर ही माह पुरुष ही लोकायुक्त की जांच के घेरे में आते हैं, उन पर ही पुरुष से महा पुरुष का दमका लग जाता है । हमे विषय से अन जान समझा जाए पर हमे लगभग सभी विषय अच्छी जानकारी हो जाती हैं, हम बोले के तो कई के चहरे का कलर गधे के सिर पे सिंग की तरह रफूचक्कर हो जायेगा। खेर हमे क्या...

 

 

पर कफी इनके जलवे होते हैं यूं कहा जाए तो इनकी तूती बोलती थी वही आज दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रहे है, बात तो दूर खुद के काम के लाले पड़ गए, जिन लोगो को अच्छे समय में अपने चहेतों के कहने पर टारगेट किया गया वही लोग अब हम दर्द का काम करते दिखाई दे रहे हैं, बाकी तो चाटुकारिकता में मसकुल हो गए,  

अपना काम निकाल कर मौज मारी अब आदरणीय साहब दाम देते दिखाई दे रहे हैं, गजब की बदुवा हे इन महाराज के सामने, कच्चे कान के जो है ।

 

जो सही था उनको चोर समझ बैठे, जो चोर था उसको साहू गिरी करने को दे बैठे, बिल्ली को दूध की रखवाली करने का बोलो के तो वहा एक ही काम करेंगी ।

 

 

जिसके बारे मे लिख रहे है, उसकी आत्मा को पता है, की कितना गलत सही काम हो रहा है, हमे फर्क नही पड़ेगा हम तो ऐसे ही है, और रहेंगे...

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