आप यह नहीं देख सकते कि दूसरा व्यक्ति किस दबाव में है, और दूसरा व्यक्ति वह दर्द नहीं देख सकता जिसमें आप है।
पंकज शर्मा पत्रकार
चीफ एडिटर ( मीडिया प्रभारी )
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रफ्तार के साथ
सटीक प्राणिक खबर
सिर्फ नाम ही काफी है
सरकार...
अपनी अपनी मजबूरी हैं, किसी को। तुसरे से कोई फर्क नही पड़ता पर जो सही होते हैं उसकी गवाही वक्त समय आने पर दे देता है ।
आदमी को नहीं पता कि नीचे उसकी जिंदगी में सांप है..
महिला को नहीं पता कि उस आदमी को कोई पत्थर कुचल रहा है..
महिला सोचती है:- “मैं गिरने वाली हूं.. और मैं चढ़ नहीं सकती क्योंकि सांप मुझे काटने वाला है.. आदमी थोड़ी और ताकत लगाकर मुझे ऊपर क्यों नहीं खींच लेता..।”
आदमी सोचता है:- "मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. फिर भी मैं तुम्हें जितना हो सके खींच रहा हूं.. तुम थोड़ा और जोर से चढ़ने की कोशिश क्यों नहीं करते..?"
नैतिक बात यह है:- आप यह नहीं देख सकते कि दूसरा व्यक्ति किस दबाव में है, और दूसरा व्यक्ति वह दर्द नहीं देख सकता जिसमें आप है।
यह जीवन है, चाहे यह काम, परिवार, भावनाओं या दोस्तों के साथ हो, हमें एक-दूसरे को समझने की कोशिश करनी चाहिए।
अलग ढंग से सोचना सीखें, शायद अधिक स्पष्टता से और बेहतर ढंग से संवाद करें.. थोड़ा सा विचार और धैर्य बहुत काम आता है..