अरविंद केजरीवाल ने कोर्ट से मांगी व्यक्तिगत पेशी से छूट
नई दिल्ली । ईडी और केजरीवाल के बीच चल रहे विवाद पर सेशन कोर्ट में सुनावई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, केजरीवाल के वकील ने शिकायत को वैध नहीं बताया है। आबकारी नीति में कथित घोटाले को लेकर राउज एवेन्यू कोर्ट में ईडी की शिकायत पर जारी समन को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से जारी याचिका में कहा गया था कि उन्हें मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने व्यक्तिगत पेशी से छूट दी जाए। जिसपर सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस पर अपना फैसला कोर्ट 2 बजे के बाद सुनाएगी। बता दें अरविंद केजरीवाल ने अब तक ईडी के 8 समन खारिज कर दिए हैं जिसको लेकर ई़डी ने सेशन कोर्ट में शिकायत की थी। ईडी ने दो बार राउज एवेन्यू कोर्ट का रुख कर समन की तामील नहीं करने पर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। ईडी की शिकायत पर राउज एवेन्यू कोर्ट की एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दिव्या ने अरविंद केजरीवाल को समन जारी कर 16 मार्च को कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी के निर्देश दिए थे। जिसके बाद अरविंद केजरीवाल के वकील ने मैजिस्ट्रेट कोर्ट के दोनों समन को सेशन कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी कि अरविंद केजरीवाल ने ईडी के समन का उचित जवाब दिया था। मामले में दोष सिद्ध होने की स्थिति में अधिकतम 1 माह की साधारण कैद और 500 रुपए का जुर्माने का प्राविधान है। ऐसे में मुख्यमंत्री को खुद पेश होने से छूट दी जाए। वकील के जरिए उनका पक्ष स्वीकार किया जाए। अरविंद केजरीवाल के वकील रमेश गुप्ता और राजीव मोहन ने कोर्ट में दलील दी कि ईडी के जांच अधिकारी जोगिंदर ने अरविंद केजरीवाल को समन भेजा था लेकिन तामील ना करने के आरोपों में शिकायत अन्य अधिकारी संदीप ने कराई, ऐसे में शिकायत वैध नहीं है। ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू वीडियो ने कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में हिस्सा लिया और अरविंद केजरीवाल के वकीलों की दलीलों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल भले ही आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन वो खुदको कानून से ऊपर मानते हैं। ईडी और कोर्ट के सामने पेश होने से ज्यादा वो उद्घाटन और राजनीतिक कार्यक्रमों को तरजीह देते हैं ऐसे में उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट नहीं देनी चाहिए।