मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन में टकराव ।
राष्ट्रीय स्तर पर आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए जिस तरह से लगभग सभी विपक्षी दल एक होकर इंडिया गठबंधन के नाम से एकत्रित होकर मुख्य सत्ताधीश पार्टी भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने के लिए पिछले 6 महीने से आमने-सामने दिखाई दे रहे थे , वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के दो प्रमुख दल जिसमें जनता दल यूनाइटेड एवं समाजवादी पार्टी शामिल है , दोनों ही मुख्य दलों ने अपने गठबंधन के सिद्धांतों एवं समझौता को लोकसभा चुनाव आने से पहले ही आमने-सामने की बगावत की स्थितियों पर लाकर खड़ा कर दिया है । लगभग 10 दिवस पूर्व समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के विषय में जिस तरह से अपमानजनक टिप्पणी कांग्रेस पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा की गई उसके बदले में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का अपमानजनक बयान अखिलेश यादव के विषय में दिया था , कुल मिलाकर राष्ट्रीय परिदृश्य में यह मतभेद खुलकर सामने आया था । आज आमने-सामने की स्थिति और मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ा संकट समाजवादी पार्टी बनकर खड़ा हो गई है । मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने 45 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं, जो सीधे-सीधे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को हराने के लिए पर्याप्त दिखाई दे रहे हैं । वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव की ओर देखे तो जीत हार का प्रतिशत 15 से अधिक सीटों पर 1000 वोटो के अंतर से एवं 20 सीटों पर 2000 वोटो के अंतर से रहा है । ऐसी स्थिति में इंडिया गठबंधन के बीच सामने आई दरार कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा नुकसान करने की स्थिति में दिखाई देती है । कुल मिलाकर आने वाले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का किस तरह से सामंजस्य होगा यह तो भविष्य की बात है । परंतु मध्य प्रदेश में इंडिया गठबंधन के अंदर दरार एवं कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा नुकसान करने की स्थितियां , राष्ट्रीय परिदृश्य पर बड़ा प्रभाव के रूप में दिखाई देंगी।
*मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपमान एवं गद्दारी करती रही है -समाजवादी पार्टी
मध्य प्रदेश में 45 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी के समक्ष एक चुनौती के रूप में खड़े करने के बाद , पूर्व की राजनीतिक परिस्थितियों एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया के अपमान के विषय पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता चंद्रपाल सिंह यादव का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ मध्य प्रदेश में हमेशा गद्दारी एवं अपमान का काम किया है । हम अपने वरिष्ठ नेताओं का अपमान सहन नहीं कर सकते । हमने कांग्रेस पार्टी के समक्ष निवेदन के साथ कई घंटे मुलाकात के इंतजार के पश्चात भी प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समक्ष रखने गया था और हमने 6 सीटों की मांग की थी । हमारी मांग को अपमानजनक तरीके से ठुकरा ही नहीं दिया गया साथ-साथ हमारे वरिष्ठ नेता एवं मुखिया अखिलेश यादव जी का मध्य प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने भी अपमान किया । समाजवादी पार्टी के बड़े नेता का कहना है कि उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुए कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर समाजवादी पार्टी का प्रभाव जिताऊ उम्मीदवार के रूप में स्पष्ट है । परंतु हमें पूर्व की तरह अपमान एवं तिरस्कार ही मिला है । इसलिए हमने जीतने वाले विधानसभा क्षेत्र में 45 उम्मीदवार अपने खड़े किए हैं । कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी 45 विधानसभा क्षेत्र में सीधे-सीधे कांग्रेस पार्टी के लिए नुकसान पहुंचाएगी ।
जनता दल यूनाइटेड के पांच विधानसभा क्षेत्र पर सीधे मुकाबला मैं कांग्रेस को नुकसान ।
समाजवादी पार्टी ने जिन विधानसभा सीटों पर अपने 45 उम्मीदवार घोषित किए है । वहीं दूसरी ओर जनता दल यूनाइटेड की ओर से पांच विधानसभा सीटों पर भी उम्मीदवार खड़े कर दिए गए है । इस त्रिकोणी मुकाबले के अंतर्गत सीधा-सीधा मुकाबला कांग्रेस पार्टी का भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ होने के विषय में जनता दल यूनाइटेड का प्रत्याशी बड़ा नुकसान करता हुआ दिखाई दे रहा है । यादव समाज की सामाजिक परिदृश्य को देखें तो उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए इलाके अपना महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं । उसमें प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश से लगी हुई पिछोर विधानसभा सीट कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ी हार का विषय बन सकती है । इसी तरह अन्य विधानसभा सीटों की बात करें तो राज नगर , थांदला , पेटलावद , विजय राघवगढ़ , आदि विधानसभा सीटों पर जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार उतर चुके हैं । कुल मिलाकर एक तरफ जहां 45 विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी खड़े हुए हैं , दूसरी ओर जनता दल यूनाइटेड ने अपने पांच उम्मीदवार उतार कर स्थितियां कांग्रेस पार्टी के लिए और अधिक कठिन कर दी है ।
उत्तर प्रदेश से लगी सीमा में 12 से 14% वोट समाजवादी पार्टी का प्रभावित करेगा कांग्रेस को ।
समाजवादी पार्टी के द्वारा जारी की गई सूची में अभी तक 45 विधानसभा सीटों की घोषणा कर दी गई है । इन समस्त विधानसभा सीटों की घोषणा के अंतर्गत सबसे अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि इसमें से आधी से अधिक सीटों का चयन बुंदेलखंड एवं चंबल से लगी हुई सीटों के अतिरिक्त विंध्य क्षेत्र की सीटों के रूप में चुना गया है । जानकारी के अनुसार इन सभी क्षेत्रों में यादव समाज का वोट प्रतिशत 12 से 14 प्रतिशत माना जाता है । विशेष रूप से ललितपुर से लगी हुई सीट पिछोर , दतिया , छतरपुर टीकमगढ़ जिला एवं निवाड़ी जिला , चंबल क्षेत्र के कई विधानसभा क्षेत्र , रेवांचल क्षेत्र से संबंधित लगभग 11 सीट आदि समाजवादी पार्टी से जुड़ी हुई कई ऐसी विधानसभा सीट हैं जहां पर सीधा-सीधा नुकसान भारतीय जनता पार्टी को न होकर कांग्रेस पार्टी को हो रहा है । मध्य प्रदेश से जुड़े हुए राजनीतिक विश्लेषक इस बात को समझते हैं और मानते हैं कि समाजवादी पार्टी का प्रभाव वर्ष 2003 से लेकर 2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही काम रहा हो परंतु जितने और हारने की विधानसभा सीटों पर बड़े प्रभाव के रूप में देखा जा सकता है । वर्ष 2003 में समाजवादी पार्टी का प्रभाव पांच विधानसभा सीटों पर रहा था जहां पर मध्य प्रदेश की विधानसभा में समाजवादी पार्टी के पांच विधायक चुनकर आए थे । उसके पश्चात भले ही एक विधायक समाजवादी पार्टी का परिषद 2018 में चुनकर आया हो परंतु समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को 5000 से ऊपर अथवा कहीं 5000 से कम मतों से नुकसान पहुंचाया था । कुल मिलाकर 45 विधानसभा सीटों पर अभी तक समाजवादी पार्टी अपने उम्मीदवार उतार चुकी है वहीं दूसरी ओर जानकारी के अनुसार 10 विधानसभा सीटों पर और प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है ।