इम्फाल। मणिपुर में हिंसा से बीजेपीप और कांग्रेस के बीच राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई है और दोनों पार्टियां राज्य में संकट को लेकर एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को कांग्रेस पर मणिपुर अशांति के मुद्दे पर गलत, झूठा और राजनीति से प्रेरित कहानी को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। उनकी टिप्पणी खड़गे द्वारा राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करने और संकट को कम करने में केंद्र की विफलता का आरोप लगाने के कुछ ही घंटों बाद आई है। नड्डा ने पत्र में लिखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आप भूल गए हैं कि न केवल आपकी सरकार ने भारत में विदेशी आतंकवादियों के अवैध प्रवास को वैध बनाया, बल्कि तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने उनके साथ संधियों पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अलावा, गिरफ्तारी से बचने देश से भाग रहे इन ज्ञात उग्रवादी नेताओं का समर्थन किया और उनके अस्थिर प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। नड्डा ने आगे लिखा कि आपकी सरकार के तहत भारत की सुरक्षा और प्रशासनिक प्रोटोकॉल की पूर्ण विफलता एक प्रमुख कारण है कि उग्रवादी और आदतन हिंसक संगठन मणिपुर में कड़ी मेहनत से हासिल की गई शांति को खत्म करने और इसे कई दशकों तक अराजकता के युग में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूँ कि कांग्रेस के विपरीत हमारी सरकार किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि केंद्र और मणिपुर की सरकारें शुरुआती हिंसा के बाद से ही स्थिति को स्थिर करने और लोगों की सुरक्षा के लिए काम कर रही हैं। 

कांग्रेस के पूर्व शासन में मणिपुर ने इतिहास के सबसे खूनी दौर को देखा
नड्डा ने खड़गे से कहा कि आप और आपकी पार्टी ने इन घटनाक्रमों को नजरअंदाज करते हुए राजनीतिक लाभ उठाने और नापाक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पूर्वोत्तर और उसके लोगों का इस्तेमाल करने का विकल्प चुना। कांग्रेस के पूर्व शासन में मणिपुर ने इतिहास के सबसे खूनी दौर को देखा है। उन्होंने कहा कि 90 के दशक के काले दौर में बड़े पैमाने पर हिंसा के कारण हजारों लोग मारे गए और लाखों विस्थापित हुए थे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा केवल 2011 में मणिपुर में 120 दिन से अधिक समय तक पूर्ण नाकाबंदी देखी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और एलपीजी की कीमत देश के बाकी हिस्सों की तुलना में करीब चार गुना ज्यादा थीं और हर दिन सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा था। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह मणिपुर मामले में हस्तक्षेप करें ताकि राज्य के लोगों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार पर हिंसा रोकने तथा सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह विफल रहने का आरोप भी लगाया था और दावा किया था कि प्रदेश की जनता अब इन दोनों सरकारों में विश्वास खो चुकी है। उन्होंने लिखा था कि देश को असाधारण रूप से गंभीर त्रासदी झेलनी पड़ी है। पिछले 18 महीनों से मणिपुर में अभूतपूर्व उथल-पुथल के कारण महिलाओं, बच्चों सहित 300 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। एक लाख लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित कर दिया है। लोगों की पीड़ा लगातार बनी हुई है।