सामुहिकता से रोका जाएगा महिलाओं-बच्चों के खिलाफ अपराध
आज से चलेगा हम होंगे कामयाब अभियान
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर जेंडर आधारित हिंसा की रोक थाम के लिए पुलिस अब सामुहिकता के साथ काम करेगी। यानी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए अब केवल पुलिस ही नहीं बल्कि 25 विभाग मिलकर काम करेंगे। इस कड़ी में जेंडर आधारित हिंसा की रोक थाम के लिए जागरूकता अभियान 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक चलाया जाएगा। महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया 25 नवंबर को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर से इस अभियान की शुरुआत करेगी।
गौरतलब है कि अभी तक महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध और लिंग आधारित हिंसा रोकने के लिए अभी तक केवल पुलिस अकेले काम कर रही थी। लेकिन अब पुलिस के साथ महिला एवं बाल विकास, नगरीय विकास एवं आवास, पर्यटन, स्वास्थ्य, आबकारी और स्कूल एवं उच्च शिक्षा जैसे 25 विभाग एक साथ मिलकर काम करेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार की है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए पहली बार इतने विभागों को एक साथ जोडक़र अभियान हम होंगे कामयाब शुरू किया जा रहा है। इस अभियान अभियान की रोजाना मॉनीटरिंग की जाएगी। जिला स्तर पर कलेक्टर को नोडल अधिकारी तो एसपी को सहयोगी बनाया गया है। सभी की जवाबदेही तय की गई है। अभियान में महिला एवं बाल विकास विभाग, नगरीय विकास एवं आवास, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास, पर्यटन, स्वास्थ्य, आबकारी, पुलिस, स्कूल एवं उच्च शिक्षा, सामाजिक न्याय, तकनीकी शिक्षा, अनुसूचित जाति कल्याण, खेल एवं युवा कल्याण, नेहरू युवा केंद्र, विधि एवं विधायी, परिवहन व अन्य विभाग शामिल होंगे।
अब सभी विभाग एक साथ करेंगे काम
अभी तक महिलाओं-बच्चों के खिलाफ अपराध के प्रति जागरूकता के लिए महिला सुरक्षा शाखा अभियान चलाती थी। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर पहली बार सभी विभागों को एक साथ जोडक़र अभियान तैयार किया गया है। बता दें, महिला और बच्चों की सुरक्षा के लिए अलग अलग विभाग अपने स्तर पर योजनाएं संचालित कर रहे हैं, लेकिन सामंजस्य की कमी और अन्य कारणों से इनका लाभ नहीं मिल रहा है। अब सीएम डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन सभी विभागों को एक साथ लाए हैं। इससे पहले महिला सुरक्षा शाखा की स्पेशल डीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव की अगुआई में हम होंगे कामयाब अभियान चलाया जाता था। अब इसे अन्य विभागों के साथ मिलकर विस्तार दिया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि इस अभियान का सकारात्मक परिणाम आएगा। महिला सुरक्षा शाखा करेगी ऑडिट महिलाओं एवं बच्चों की मौजूदगी वाले स्थानों मसलन शिक्षण संस्थानों, हॉस्पिटल, यात्री प्रतीक्षालय समेत अन्य स्थानों की सुरक्षा के ऑडिट का जिम्मा पुलिस को सौंपा गया है। पुलिस मुख्यालय की महिला सुरक्षा शाखा इसकी मॉनीटरिंग करेगी। इसके लिए यूएन वूमन द्वारा तकनीकी सहायता मुहैया कराई जाएगी।
41 सवाल तैयार किए
जानकारी के अनुसार, सुरक्षा ऑडिट के लिए 41 सवाल तैयार किए गए हैं, जिन्हें गूगल फॉर्म के जरिये भेजा जाएगा। इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों की उपलब्धता समेत अन्य प्रश्न शामिल हैं। अभियान के दौरान प्रदेश में चिह्नित ब्लैक स्पॉट पर किए गए सुरक्षा उपायों की मौजूदा जानकारी मांगी गई है। अभियान के दौरान इन बिंदुओं पर फोकस किया जाएगा। स्कूलों में उपयोग लाए जाने वाले वाहनों के चालकों का वेरिफिकेशन कराया जाएगा। सामुदायिक महिला शौचालयों का सुधार व रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा। अपराधों के लिए कुख्यात स्पॉट पर सीसीटीवी कैमरों की उपलब्धता और पुलिस गश्त बढ़ाया जाएगा। अलग-अलग विभागों द्वारा संचालित महिला सुरक्षा ऐप और हेल्पलाइन नंबरों की समीक्षा कर उन्हें एकीकृत किया जाएगा। सभी शासकीय कार्यालयों में यौन उत्पीडऩ निवारण अधिनियम के अंतर्गत आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाएगा। सभी यात्री वाहनों में पैनिक बटन लगवाना सुनिश्चित किया जाएगा। स्कूल-कॉलेजों एवं आईटीआई में शिविर आयोजित कर महिलाओं एवं छात्राओं के नि:शुल्क ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया जाएगा। महिलाओं के खिलाफ लंबित अपराधों और इनके चालानों का निराकरण समय सीमा में करवाया जाएगा।
हम होंगे कामयाब
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर जेंडर आधारित हिंसा की रोक थाम के लिए जागरूकता अभियान हम होंगे कामयाब चलाया जाएगा। महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया 25 नवंबर को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर से प्रात:10 बजे इस अभियान की शुरुआत करेगी। जेंडर आधारित हिंसा की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान के तहत महिला सुरक्षा संवाद विषय पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला 25 एवं 26 नवंबर को आयोजित की गई है। कार्यशाला में सरकारी समन्वय और हितधारकों की जिम्मेदारी के माध्यम से जेंडर आधारित हिंसा का समाधान, सामुदायिक पुलिसिंग, महिला सुरक्षा में सहयोगी दृष्टिकोण, जेंडर आधारित हिंसा को समझना और स्थानीय कार्यान्वयन के लिए कार्य योजनाओं का विकास, पीडि़तों के लिए समर्थन प्रणाली को मजबूत करना, वन स्टॉप सेंटर की भूमिका और मनोवैज्ञानिक प्रभाव, महिला सुरक्षा को बढ़ावा देना त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र के माध्यम एम पी डायल 100 से अंतर्दृष्टि, महिलाओं की सुरक्षा कानूनों और नीतियों की समझ जैसे विषयों पर पहले दिन विषय विशेषज्ञों के साथ चर्चा होगी। कार्यशाला के दूसरे दिन युवाओं की भूमिका बदलाव के वाहक, पीडि़तों के लिए समर्थन प्रणाली को मज़बूत करना, वन स्टॉप सेंटर की भूमिका, तकनीक आधारित जेंडर हिंसा की समझ तथा विश्वविद्यालय स्तर पर महिला सुरक्षा उपाय जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।