जयपुर । 'बॉर्डर' फिल्म आपको याद ही होगी। 1971 में आई इस फिल्म के गाने आज भी काफी लोकप्रिय हैं। खासकर 'संदेश आते हैं....' को लोग आज भी काफी पसंद करते हैं। इस फिल्म में एक सीन आपको याद होगा, जिसमें एक मुस्लिम परिवार के घर में आग लग जाती है और कुरान को बचाने के लिए सुनील शेट्टी घर के अंदर चले जाते हैं। असल में सुनील शेट्टी का यह किरदार राजस्थान के रहने वाले भैरों सिंह पर आधारित है।

दरअसल, भैरो सिंह राठौड़ का 19 दिसंबर 2022 को निधन हो गया। उन्होंने 1971 के लोंगेवाला युद्ध में हिस्सा लिया था। उनके निधन पर सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसफ ने भी शोक व्यक्त किया और उनकी वीरता को सलाम किया है। बार्डर फिल्म में सुनील शेट्टी के अलावा, सनी देओल, जैकी श्राफ, अक्षय खन्ना, पूजा भट्ट, सुदेश बेरी और पुनीत इस्सर भी नजर आए थे।

एम्स जोधपुर में ली अंतिम सांस

भैरों सिंह ने सोमवार को एम्स जोधपुर में अंतिम सांस ली। लोंगेवाला युद्ध के दौरान वे जैसलमेर के लोंगेवाला पोस्ट पर ही तैनात थे। उन्हें उनकी वीरता के लिए 1972 में सेना पदक से सम्मानित किया गया। वे 1987 में नाइक के रूप में सेवानिवृत्त हुए।

5 दिसंबर 1971 में हुआ युद्ध

5 दिसंबर 1971 को लोंगेवाला पोस्ट पर बीएसएफ की एक टुकड़ी की कमान भैरों सिंह के हाथ में थी। उनके साथ में 23 पंजाब रेजिमेंट के 120 जवान भी थे। पाकिस्तानी सेना ने जब हमला किया तो तुरंत कोई सहायता न मिलने की वजह से सैनिकों को पीछे हटने के लिए बोला गया, लेकिन भेरों सिंह पीछे नहीं हटे। उन्होंने जवानों  के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना को लोंगेवाला पोस्ट से आगे नहीं जाने दिया। बार्डर फिल्म की कहानी भी इसी पर आधारित था।

'बार्डर' फिल्म में सुनील शेट्टी के किरदार में लोगों ने भैरों सिंह राठोड़ को खूब याद किया। हालांकि, परिवार के सदस्य इस बात से नाराज थे कि सुनील शेट्टी के किरदार को फिल्म में मार दिया गया। इसके अलावा, वे इस बात से भी नाराज थे कि फिल्म में दिखाया गया है कि राठोड़ की शादी युद्ध से पहले हो चुकी थी, जबकि हकीकत में उनकी शादी युद्ध के बाद हुई है।

सुनील शेट्टी से मिलने की इच्छा रह गई अधूरी

भैरों सिंह के बेटे सवाई सिंह ने मीडिया से बताया कि उनके पिता की इच्छा था कि वो सुनील शेट्टी से मिले,लेकिन उनकी यह इच्छा अधूरी रह गई।हमने बहुत कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।हालांकि, निधन की खबर मिलने पर शेट्टी ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है।

भैरों सिंह के भतीजे अरुण सिंह का कहना है कि वो हमेशा गांव के युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित करते थे। उनकी तैयारी में मदद भी करते थे। लोकल होने के वजह से वे रेगिस्तानी इलाके को अच्छी तरह से जानते थे। यही वजह थी कि उन्होंने 1971 के जंग में 23 पंजाब रेजिमेंट को बहुत अहम जानकारियां दी थी। उन्होंने पाकिस्तानी सेना को हल्की मशीन गन से काफी नुकसान पहुंचाया था।