हाईकोर्ट के गिरफ्तारी पर रोक के आदेश से रुकी जांच
नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फेक वीडियो को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करने के मामले में दिल्ली पुलिस तेलंगाना कांग्रेस के इंटरनेट मीडिया सेल के छह कार्यकर्ताओं को जांच में शामिल होने के लिए बार-बार नोटिस भेज रही है, लेकिन वे पेश नहीं हो रहे हैं। इससे पुलिस की जांच रुकी हुई है और अब तक यह पता नहीं लगा पाई है कि फेक वीडियो किसने बनाया था। मामले में सात लोग आरोपित बनाए गए हैं, जिनमें एक अरुण बी रेड्डी को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है, जिसे बाद में जमानत मिल गई थी। अन्य छह को गिरफ्तार करना बाकी है। इन सभी के खिलाफ पुलिस पटियाला हाउस कोर्ट से पहले ही गिरफ्तारी वारंट जारी करवा चुकी है। जांच में शामिल होने के लिए इन्हें चार बार नोटिस भेजा जा चुका है, लेकिन कोई न कोई बहाना बना आरोपित तेलंगाना हाई कोर्ट के गिरफ्तारी पर रोक के आदेश का हवाला देते हुए पुलिस के नोटिस का जवाब भेज जांच में शामिल होने से बच रहे हैं। पुलिस का कहना है कि अब 12 जून को तेलंगाना हाई कोर्ट की गिरफ्तारी से रोक हटने के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। फेक वीडियो किसके निर्देश पर बनाया गया और किन-किन लोगों को भेजा गया, पता नहीं लग पाया है। दिल्ली पुलिस मामला दर्ज करने के बाद दिल्ली की अदालत से वारंट जारी करा जब हैदराबाद पहुंची और वहां आरोपितों की पहचान कर उनसे पूछताछ शुरू की तब फेक वीडियो मामले में हैदराबाद पुलिस ने भी एक केस दर्ज कर कुछ आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन चंद दिनों बाद ही उन्हें जमानत भी मिल गई। दिल्ली पुलिस ने जब उन्हें अपने मुकदमे में गिरफ्तार करने की कोशिश की तब उन लोगों ने तेलंगाना हाई कोर्ट का रुख कर गिरफ्तारी पर रोक लगाने की गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने 12 जून तक के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक की अवधि में दिल्ली पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर यह जान लेना चाहती थी कि वीडियो किसने बनाया था। इसलिए पुलिस उन्हें बार-बार नोटिस भेज जांच में शामिल होने के लिए कहती रही लेकिन कोई भी नहीं आया। अब तक की जांच से यह साफ हो गया है कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में नुकसान पहुंचाने के मकसद से ही गृह मंत्री का फेक वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया गया था। फेक वीडियो से लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की गई कि भाजपा ओबीसी आरक्षण खत्म करना चाहती है।