अस्पतालों में अचानक क्यों बढ़ने लगे हैं लिवर के मरीज
नई दिल्ली । लिवर डैमेज होने के कारण तो कई हैं, लेकिन इन दिनों लिवर को खराब करने का सबसे बड़ा कारण मोटापा है। हालांकि करीब 10 साल पहले रेयर केस में मोटापे की वजह से लिवर खराब होता था। अस्पतालों में ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह कहना है जीबी पंत अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रफेसर डॉ सिद्धार्थ श्रीवास्तव का। उन्होंने बताया कि अस्पताल में हमारे डिपार्टमेंट में हर रोज आने मरीजों में 40 प्रतिशत लिवर के मरीज होते हैं, जिसमें से 10 प्रतिशत मरीज के बीमारी का कारण मोटापा है। आने वाले दिनों में यह सबसे बड़ी चुनौती बनने वाली है। लोगों को नियमित व्यायाम के अलावा पैकेज फूड, मोमोज, बर्गर, पिज्जा समेत अन्य तले भुने चीजों से परहेज करना चाहिए। डॉ सिद्धार्थ बताते हैं कि लिवर डैमेज होने के लक्षण काफी देर में आते हैं। तब तक करीब 70 प्रतिशत लिवर डैमेज हो चुका होता है। अगर किसी को लगातार थकावट महसूस हो रही है तो उन्हें अलर्ट हो जाना चाहिए। सबसे पहले उन्हें फैटी लिवर के लिए अल्ट्रासाउंड और ब्लड की जांच करानी चाहिए, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि आपका लिवर कितना डैमेज हो चुका है। उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति हेपेटाइटिस बी, सी से ग्रसित हो और वह शराब का सेवन करने के साथ मोटापे से ग्रसित है तो उसका लिवर बहुत ही तेजी से खराब हो सकता है। इसलिए ऐसे लोगों को खान-पान में बहुत ही सावधानी बरतने की जरूरत है। वहीं, दिल्ली नगर निगम के चीफ मेडिकल ऑफिसर (आयुर्वेद) डॉ आरपी पाराशर ने बताया कि लिवर में फैट जमा हो जाने पर फैटी लीवर (स्टीटोटिक लीवर) वाले लोगों में लिवर के खराब होने का खतरा बढ़ सकता है। अगर समय पर खाने पीने में सुधार न हो तो सिरोसिस और लीवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यह बीमारी पश्चिमी देशों में अधिक देखने को मिलती थी, लेकिन अब भारत में भी यह तेजी से आम हो रही है। फैटी लीवर रोग वाले अधिकांश लोगों में अन्य बीमारियां भी आमतौर पर साथ-साथ देखने को मिलती हैं।