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पंकज शर्मा  पत्रकार & चीफ़ इन एडिटर  न्यूज़ बुलेटिन 24x7 लाइव
बिट : महाकाल मंदिर, उज्जैन

अलौकिक लोक कथा में आज आपको बताएंगे, दुनिया मे सबसे बड़े आलसी का खताब किसे ओर कैसे मिला ।उज्जैन में हर साल गधों का मेला लगता है और देश दुनिया से गधे यहा पर आते है, ओर बिक जाते है पर कुछ गधे बड़े बेकार होते है बिकते ही नही, मालिक परेशान नोकर मेहरबान |दिल्ली में सबसे बड़े आलसियों को सम्मान किया जाना था, सो पूरे देश के आलसियों को मैसेज किया कि 28 तारीख को दिल्ली से सबसे बड़े आलसियों का खिताब मिलेगा, नीति नियम ताक में रखकर मन घरत तुकोलॉजी मौखिक नियम बना कर मूर्खो में सबसे बड़े आलसी का खिताब दिया जाना था सो एक शर्त लगी कि जो कोई आलसी सबसे पहले दिल्ली पहुचेगा मूर्खो का खिताब उसे ही दिया जायेगा । अब भला आलसियों ने सोचा कौन जाये दिल्ली पर कैसे जाए, बस किया था हमारे उज्जैन के 2 आलसी बिना किसी को बताए चुप चाप रातों रात दिल्ली की ओर अपनी अम्बेसेडर कार लेकर निकल लिए, रास्ते मे आराम से चल रहे थे तो बीच मे एक कुत्ते का बाप आ गया बस फिर किया था आलसियों ने गलती से ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पर पाव रखा ओर सीधे दिल्ली पहुच गये, बिना रुके...
दिल्ली में मूर्खो के आयोजकों ने कहा कि आप बहुत जल्दी दिल्ली पहुच गये हो ओर बात के अनुसार जो सबसे  पहले आलसी दिल्ली पहुचेगा उसे ही मुर्खोगा खिताब मिलेगा , भला तुमको खिताब कैसे मिलेगा ।तब उज्जैन के आलसियों ने बताया कि रास्ते मे एक कुत्ते का बाप कार के सामने आ गया तो गलती से पेर ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पर रख दिया फिर सोचा कि अब पैर कौन हटाये तो सीधे पहुच गये दिल्ली ।मूर्खो की मंडली ने सबसे बड़े मुखों का खिताब उज्जैन के महा आलसियों को दिया । बात पते की है कि पेर रख दिया तो हटाये कैसे ?हमारी कहानी का अर्थ समझने वाले समझ गये ना समझने वाले महा मुखों को समझना हम जरूरी नही समझते है ।आप समझतरो से फिर किसी कहानी के साथ सम्पर्क में आएंगे ।

जय महाकाल