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उज्जैन । पंकज शर्मा
करोड़ो का बाबू

बुधवार को ईओडब्ल्यू की छापेमारी कार्रवाई के दायरे में आए शिक्षा विभाग के क्लर्क धर्मेंद्र सिंह चौहान ने ब्याज पर भी रुपया बांट रखा है। ग्राम धुरेरी के उनके पैतृक निवास से टीम को इसके पक्के दस्तावेज मिले। चौहान ने 33.59 लाख रुपए 21 लोगों को दो से तीन प्रतिशत के ब्याज पर बांट रखे हैं। टीम को साक्ष्य के तौर पर कोरे चेक-स्टाम्प सहित पक्के दस्तावेजों में लिखा-पढ़ी मिली है।

ईओडब्ल्यू की एक टीम ने चौहान के श्रीकृष्ण कॉलोनी स्थित तीन मंजिला मकान पर और दूसरी टीम ने इंगोरिया क्षेत्र के ग्राम धुरेरी के गोडाउन व पैतृक मकान पर छापेमारी की थी। आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर की गई इस छापेमारी में टीमों ने 13 घंटे की जांच में चौहान व उसके परिवार के नाम करीब 5 करोड़ की चल-अचल संपत्ति होने का पता लगाया।

टीमों ने संपत्ति का आंकड़ा और भी बढ़ने की आंशका जताई है। दोनों टीम ने सुबह करीब साढ़े 6 बजे दोनों स्थानों पर छापेमारी की शुरुआत की थी। श्री कृष्ण कॉलोनी के मकान पर टीम पहुंची तो चौहान ने ही दरवाजा खोला। टीम ने अपना परिचय देते हुए कहा कि आपके घर की तलाशी का वारंट है।

कुछ ही देर में चौहान के तीन मंजिला घर के बाहर पुलिसकर्मी तैनात हो गए और टीम के बाकी सदस्य भीतर पड़ताल में जुट गए। वर्तमान में चौहान महाराजवाड़ा क्र. दो स्कूल में पदस्थ हैं। बीच में वे जिला पंचायत में अटैच होकर जिला पंचायत अध्यक्ष कान्हसिंह राठौर के पीए भी रहे हैं। पीए रहते ही सबसे ज्यादा रुपए बनाने जोड़ने की आशंका है।

भास्कर एक्सक्लूसिव

धर्मेंद्र सिंह चौहान पर हुई ईओडब्ल्यू की कार्रवाई के बाद भास्कर रिपोर्टर ने धर्मेंद्र सिंह चौहान से सवाल-जवाब किए। उन्होंने ब्याज पर पैसा चलाने की बात स्वीकारी लेकिन ये कहा कि सिर्फ डेढ़ लाख रुपए ब्याज पर बंटा है। उन्होंने अपने भाई पर भी संपत्ति को लेकर गंभीर आरोप लगाए।

रिपोर्टर- आप ब्याज पर भी पैसा चलाते हैं, 35 लाख रुपए बंटा हुआ है?
क्लर्क- हां ब्याज पर पैसा चलाता हूं, तीन प्रतिशत पर पैसा बांट रखा लेकिन सिर्फ डेढ़ लाख रुपए ही बंटा है।

रिपोर्टर- ब्याज पर पैसा चलाते हैं तो बदले में क्या प्रापर्टी रखते हैं, लेनदेन कैसे करते हैं? क्लर्क- लिखा-पढ़ी करवा पैसा ब्याज पर देता हूं, किसी से प्रापर्टी नहीं रखवाता।

रिपोर्टर- 25 साल में आपका वेतन सिर्फ 40 लाख रुपए बनता है, फिर ईओडब्ल्यू ने पांच करोड़ की संपत्ति का खुलासा किया है। क्लर्क- काफी कुछ पैतृक संपत्ति है व वर्तमान मूल्य के हिसाब से आंकलन किया गया है।

रिपोर्टर- छापे में कई अहम दस्तावेज मिले हैं, तो क्या ये झूठे हैं? क्लर्क- छापे के पीछे भाजपा से जुड़े मेरे भाई की साजिश है। उसी ने प्राॅपर्टी के लिए छापा डलवाया। ये सब वह प्राॅपर्टी हथियाने के लिए कर रहा है। उसी ने झूठे केस तक दर्ज कराए। आरटीआई लगा संपत्ति का ब्योरा तक मांगा था।

रिपोर्टर- घर से 300 ग्राम सोना, डेढ़ किलो चांदी और इसके अलावा 42 लाख 76 हजार रुपए की बेनामी संपत्ति भी सामने आई है? क्लर्क- गोल्ड मां व मेरी पत्नी के मायके का है। नौकरी के पैसों से आठ से दस ग्राम सोना ही खरीदा। बेनामी संपत्ति की बात सही नहीं है।

रिपोर्टर- पैतृक जमीन के अलावा साल 2010 से 2020 तक काफी जमीन खरीदी गई, इतना पैसा कहां से आया? क्लर्क- पैतृक जमीन 45 बीघा थी इसके बाद खेती के ही रुपयों से 37 बीघा जमीन खरीदी।

रिपोर्टर- जिला पंचायत में अध्यक्ष के निज सहायक रहते योजनाओं में गड़बड़ी के भी आरोप लगे और ये बात सामने आई कि उसी दौरान इतना धन अर्जित किया। क्लर्क- ये सब मेरे भाई ने किया है। मैंने कोई गड़बड़ी नहीं की। सारा हिसाब है।

ईओडब्ल्यू टीम को गांव व गोडाउन से इस संपत्ति का पता चला

    गांव में साढ़े 83 बीघा जमीन, जिसकी कीमत 1 करोड़ 57 लाख रुपए और 6 बीघा जमीन नौकर कैलाश के नाम। जिसकी कीमत 9 लाख रुपए।
    33.59 लाख रु. ब्याज पर देने के दस्तावेज।
    एक पैतृक मकान 8 लाख रुपए कीमत का।
    दो ट्रैक्टर 8 लाख रुपए कीमत के।
    थ्रेशर मशीन, व कृषि उपकरण 2 लाख रुपए के।
    खेत में पाइप लाइन व बोरिंग कीमत 2 लाख।
    केंद्रीय सहकारी बैंक के खातों में चौहान व परिजनों के नाम 19 लाख रुपए होने के दस्तावेज।

(जैसा-डीएसपी अजय केथवास ने बताया)

चाबियों में उलझ गई टीम

श्रीकृष्ण कॉलोनी में टीम ने जब घर की सर्चिंग के लिए चौहान से अलमारियों की चाबी मांगी तो परिजनों ने चाबी का गुच्छा थमा दिया। टीम के सदस्यों ने उन चाबियों से अलमारियां खोलने का प्रयास किया लेकिन परेशान हा़े गए। इसके बाद चौहान से पूछा तो उन्होंने ही बताया कि किस अलमारी की कौन-सी चाबी हैं। टीम अलमारियों में से मिले दस्तावेज व सामग्रियों की सूची बनाती रही।

आगे क्या - चौहान पर विभागीय कार्रवाई भी हो सकती

आय से अधिक संपत्ति की छापेमारी कार्रवाई के बाद चौहान अब विभागीय कार्रवाई के दायरे में भी आ सकते हैं। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना था कि वे कार्रवाई से जुड़ा संक्षिप्त विवरण शिक्षा विभाग को भेजेंगे। ऐसे में आशंका है कि चौहान पर निलंबन आदि की कार्रवाई भी हो सकती है।

1994 में 940 रुपए के वेतन से शिक्षा विभाग में नौकरी में लगा था चौहान

डीएसपी अजय कैथवास ने बताया धर्मेंद्र 1994 में 940 रुपए के वेतन पर शिक्षा विभाग में नौकरी पर लगा था। अब उसका वेतन 25 हजार रुपए या इससे थोड़ा अधिक है। ग्राम धुरेरी में चौहान के नौकर कैलाश ने जांच में सहयोग किया। टीम को चौहान की जमीन की कीमत का आंकलन करने के लिए पटवारी का सहयोग भी लेना पड़ा। गोडाउन से टीम को जमीनों के व ब्याज पर बांटे गए लाखों रुपए के लेन-देन के दस्तावेज मिले। साथ ही ट्रैक्टर-टॉली व कृषि उपकरणों की जानकारी भी हाथ लगी। समाचार लिखे जाने तक टीम की जांच जारी थी।

 

न्यूज़ सोर्स : मीडिया प्रवक्ता टीम से पंकज शर्मा पत्रकार