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ब्रेगिक न्यूज : दान ओर स्वार्थ

दान ना हो कर व्यापार सा हो गया,  हम ये दान करेगे तो हमे वहा मिलेगा, दान की पूरी की पूरी परिभाषा ही बदल गई, ये जादू सिर्फ सनातनियो के साथ ही होते है, अपने निजी स्वार्थ को सार्थक करने के लिए हम अपने सनातनी भाइयों का शोषण करने में लग गए। अन्य धर्मों में ऐसा होता नही, जो दान राशि आती है उसमें विकास और सुविधा अपने जाती पंथ के परिवारों मिलती है ओर उनसे कोई शुल्क नही लिया जाता, सक्षम परिवार अपने ओतै के हिसाब से खुलकर दान धर्म करते है पर यहा हमारे अपने सनातनी धर्म मे दान की राशि से व्यवस्था संभालने वाले लोगों के परिवारों को ही फलते फूलते देखा गया है।

दान राशि से इनके मकान दुकान ओर बैंक बैलेंस दुगनी गति से सबसे आम आदमी के हिसाब से गजब की बढ़ जाती है । दान की राशि से कोई मठ मंदिर बनता है और उसमें नई व्यवस्था बनाई जाती है तो उसमें यात्रियों के परिवार वालो को शुल्क के रूप में पैसा वसूला जाता है यहा दान की राशि से निर्माण कर उसके उपयोग की सुविधा का पैसा वसूलना गलत हैं, जब दान किसी ओर का तो उससे निर्मित सुख सुविधा का हम अपने सनातनियो से पैसा वसूल ना बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं ।

बुद्धिजीवी प्रभावशाली लोग जरा सा ध्यान दे तो असुविधा पर भी रोक लगाई जाती है पर हमारे अपने वरिष्ठ सक्षम अधिकारी और जन नेता तो अपने परिवार के और चाहने वालों को यह व्यवस्थाता ये निशुल्क उपलब्ध करवा कर अपने रोप ओर ओते का जमकर उपयोग करता है । 

आप जनता को अब मिलकर लूटने में लगे रहते है, जरा सी सुख सुविधा दो और उसका पूरा पूरा पैसा वसूलों । हमने अपने जीवन मे कई रोचक सत्य देखे और उनको अनुभव किया है.... 

एक से एक नियम बना कर अपने पैसा कमाने के उद्देश्य को सार्धक कर हम अपने वालो को सिर्फ लूट रहे है...

मन से कोई भी नियम बना कर मौखिक रूप से अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को बता कर लागू कर दिया जाता है, कईं ऐसे नियम है जो नियमावली ओर एक्ट में नही आते पर कुछ पत्रकरो ओर जननेतावो को सात कर अपने ही सनातनियो के परिवार को जम कर लूटा जाता है और आगे भी लुटा जायेगा । पर आज एक बात बता दे कि इस संसार का नियम है जो सही और सटीक है वहा है परिवर्तन...

आप समझ गए कि हम किस ओर आपका ध्यान लेजा रहे है आप को पता चल गया हमे हमारा टारगेट मिल गया - 

आपका अपना 
पंकज शर्मा पत्रकार